वो चुपचाप फर्श पर अना के पैरों के किनारे बैठकर उसके उठने का इंतज़ार करने लगा। अना उठते ही अनिकेत का हाथ पकड़कर उसे बैडरूम में ले गयी और पूछने लगी……..यह सब क्या है अनिकेत?
अनिकेत ने सिर्फ इतना ही कहा…..तुम्हारी सहेली निशा का फैलाया हुआ झूठ।
उसने शुरुआत से लेकर अंत तक जो-जो हुआ, वो सब अना को बता दिया और यह भी कहा कि वो साबित कर सकता है कि वो रात को घर में नहीं था, दोस्त के घर गया था। निशा इतनी घटिया निकलेगी उसने सोचा नहीं था।
खत में जो-जो निशा ने लिखा था अनिकेत के बारे में, अनिकेत वही सब दोहरा रहा था। वो निशा को चरित्रहीन और खुद को चरित्रवान साबित करने की कोशिश कर रहा था। वो गुस्से में निशा के लिए इतने बुरे शब्दों का प्रयोग कर रहा था कि अना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अनिकेत को थप्पड़ मार दिया।
अनिकेत स्तब्ध था अना के इस बर्ताव पर। अना ने कहा…..निशा में तुमसे ज्यादा शराफत है, कम से कम उसमें हिम्मत तो है अपना पाप स्वीकार करने की, तुम में तो पुरुष होकर साहस नहीं है अपने गुनाह को स्वीकार करने का। अगर उसने तुम्हें बहकाने की कोशिश की भी थी तो तुम क्यों बहके, जवाब दो मुझे। पहल तुमने की थी, ना कि उसने। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अनिकेत उसे हमारे बिस्तर पर लाने की?
अना बहुत देर से सुन रहा हूँ तुम्हारी बकवास, मेरा विश्वास करो मैं रात को घर पर था ही नहीं। वो यह सब झूठ बोल रही है क्योंकि मैंने उसके साथ रात गुजारने के लिए मना कर दिया था।
अना अनिकेत के हाथ में निशा का खत थमा देती है।
अनिकेत के होश उड़ जाते हैं वो खत पढ़कर। खत इतनी चालाकी से लिखा गया था कि निशा गलती करके भी सही नज़र आ रही थी और अनिकेत कुछ ना करते हुए भी गलत। अना कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी। उसकी नज़र में अनिकेत के दोस्त भी उसकी तरह झूठे थे।
दोनों के बीच बहस बढ़ती ही जा रही थी और इस लड़ाई मे अनिकेत के मुँह से निकल गया….तुम्हारे पिता ने ठीक ही कहा था कि तुमसे शादी करके मैं सबसे बड़ी गलती कर रहा हूँ।
अनिकेत का यह वाक्य उनके रिश्ते पर अंतिम प्रहार था। इसके बाद अना कुछ बोली नहीं, उसने कैब बुक की और इंतज़ार करने लगी यहाँ से जाने का। अनिकेत को एहसास हो चुका था कि अनजाने में ही सही लेकिन उसने अना को वो कह दिया जो उसे नहीं कहना चाहिए था।उसने अना से कई बार माफ़ी भी मांगी लेकिन अना ने जैसे अपने होंठों को सिल लिया था।
अना ने जाते हुए सिर्फ इतना कहा कि वो तलाक के कागज़ जल्द भिजवा देगी और वो चली गयी।
अनिकेत के मन में एक ही विचार चल रहा था कि विश्वास शब्द सिर्फ कहने के लिए ही इस्तेमाल होता है या फिर यह कुछ मायने भी रखता है। निशा पर विश्वास कर लिया अना ने, लेकिन अपने अनिकेत पर नहीं कर पायी।
अनिकेत को लगा शायद कुछ वक़्त बीतने पर अना का गुस्सा उतर जाएगा और वो उसकी बात सुन लेगी, घर वापिस आ जायेगी। तीन महीने हो चुके थे उसे घर छोड़े हुए, वो वापिस नहीं आयी। हाँ, उसकी जगह तलाक के कागज़ जरूर आए थे जिन पर अनिकेत ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था।
केस अब कोर्ट में चला गया था। एक साल हो गया था अनिकेत को अना से अलग हुए। जब से उससे अलग हुआ था तबसे उसकी उपहार में दी हुई डायरी में लिखने लगा था। उसने पुराना घर छोड़कर नया घर ले लिया था जैसा उसने और अना ने कभी लेने की सोचा था। पुराने घर से वो एक भी सामान नहीं लाया था नए घर में, सब कुछ नया खरीदा था इस उम्मीद में कि एक दिन अना वापिस आ जायेगी और वो नए सिरे से जिंदगी की शुरुवात करेंगे। वो हर रोज़ भगवान से प्रार्थना करता कि काश! ये तलाक शब्द उसकी जिंदगी से हट जाए और अना वापिस लौट आए।
अनिकेत से अलग होने के बाद अना ने बड़ी मुश्किल से संभाला था खुद को। उसके दिए धोखे को भुलाने में उसकी एयरहोस्टेस की नौकरी बड़ी काम आ रही थी। शुरू-शुरू में अनिकेत उसे फोन करता था जिसे वो उठाती नहीं थी। अनिकेत ने बाद में भी कई बार अपनी सच्चाई कहनी चाही लेकिन अना में चाह ही नहीं शेष बची थी अपने रिश्ते को बचाने की।
अनिकेत से तो वो अब भी प्यार करती थी लेकिन जब भी निशा और अनिकेत के एक साथ होने का ख्याल आता था तो वो नफरत की आग में जलने लगती थी। वो अनिकेत की सोच में भी किसी और को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी तो वो कैसे बर्दाश्त कर लेती अनिकेत का किसी और के जिस्म को छूना।
उसके पिता का कहा सच हो गया था। सच ही कहा है किसी ने कि माँ बाप का आशीर्वाद जरूर फलता है। उसके पिता की दुआओं की बदौलत आज उसका घर बर्बाद हो चुका था।
एक दिन अनिकेत घर से निकल ही रहा होता है कोर्ट जाने के लिए तभी उसके फोन पर अंजान नंबर से फोन आता है….
अनाहिता अनिकेत शर्मा का एक्सीडेंट हो गया है। उनकी हालत गम्भीर है आप जल्दी से सिटी हॉस्पिटल पहुँच जाइये।
अनिकेत का दिमाग काम करना बंद कर देता है। कैसे तो वो बदहवासी की हालत में हॉस्पिटल पहुँचता है। अना ऑपरेशन थिएटर में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही थी। अनिकेत ने अना के माता पिता को उसके एक्सीडेंट के बारे में फोन करके बता दिया था। अना के पिता को पैरालिसिस अटैक आया था महीना पहले जिसके बारे में अनिकेत को खबर तक नहीं थी। ऐसे में उनका अना को देखने आना नामुमकिन था।
अनिकेत के माता पिता पहले से ही अना के तलाक लेने के फैसले से उससे नाराज़ थे तो उन्हें बताने का कोई मतलब ही नहीं था।
अना का ऑपरेशन अच्छे से हो गया था बस अब उसे होश आना बाकी था। चौबीस घँटे के लिए उसे अंडर ऑब्जरवेशन रखा गया था। अना को एक दिन बाद होश आया था।
अनिकेत जब से हॉस्पिटल आया था तबसे सिर्फ कपड़े बदलने के लिए ही घर गया था। सारा समय हॉस्पिटल में ही रहता था। अना अभी भी आई. सी. यू में ही थी।
अनिकेत अना को देखने गया तो सोयी हुई थी अना।
उसके सारे शरीर पर प्लास्टर ही प्लास्टर थे। चेहरे पर भी चोट के निशान थे।
अनिकेत ने कभी सोचा नहीं था उसे अपनी अना को एक दिन ऐसी हालत में देखना पड़ेगा। अपने आंसुओं को पोछता हुआ वो बाहर आ गया।
अना की नींद खुली तो नर्स ने बताया कि….आपके पति आए थे आपसे मिलने। आपको सोता देख वो चुपचाप चले गए। आप कहें तो बुला दूँ उन्हें मिलने के लिए। जब से आपका एक्सीडेंट हुआ है तबसे वो यहीं है।
अनिकेत का नाम सुनकर अना की आँखे नम हो गईं थी। उसने नर्स को कहा अनिकेत को बुलाने के लिए।
अना आँखें बंद करके लेटी हुई थी। तभी अनिकेत की आवाज़ सुनाई देती है कानों में…….अना अब कैसी हो तुम?
ये क्या हालत बना रखी है तुमने अपनी अनिकेत बड़ी हुई दाढ़ी, थकी हुई आँखें?
इतनी तकलीफ क्यों उठा रहे हो मेरे लिए? वैसे भी हमारा तलाक होने वाला है अनिकेत….
जानता हूँ तलाक होने वाला है लेकिन अभी तक हुआ तो नहीं है ना? अभी भी तुम अनाहिता अनिकेत शर्मा ही हो। मैंने जो भी किया मेरी पत्नी, मेरी अना के लिए किया है। तुम इन सब बातों का तनाव मत लो, आराम करो। मैं बाद में आता हूँ।
दस दिन बाद अना को डिस्चार्ज मिल गया था। अना ने अनिकेत से कहा कि वो उसे उसके घर छोड़ दे और एक नर्स का इंतज़ाम कर दे, वो संभाल लेगी अपने आपको। अनिकेत ने कहा कि जब तक वो ठीक नहीं हो जायेगी तब तक वो उसके घर पर ही रहेगी।
अना ने गुस्से से कहा….मैं उस घर में नहीं रहूँगी अनिकेत।
मैंने नया घर ले लिया है अना और पुराने घर का कोई भी सामान उस घर में नहीं है। अनिकेत ने हँसते हुए कहा वो ऐतिहासिक बेड तो मैंने कामवाली को मुफ्त में दे दिया था।
मैं वो सब याद नहीं करना चाहती अनिकेत।
घर ठीक वैसा ही सजाया होता है जैसा कभी अना ने चाहा था। दीवारों के रंग से लेकर खिड़कियों के पर्दो के रंग तक उसकी पसन्द के थे। अना का दिल पिघलने लगा था। ऐसा लग रहा था उसे जैसे वो फिर से अपने घर में आ गयी हो। अनिकेत अना को व्हीलचेयर की सहायता से कमरे में ले गया था। अनिकेत ने अना की रोज़ के कामों के लिए नर्स रख दी थी जो शाम होने पर अपने घर चली जाती थी।
उसके जाने के बाद अना का सारा ध्यान अनिकेत ही रखता था।
तुम ऑफिस क्यों नहीं जाते अनिकेत, नौकरी छोड़ दी है क्या?
हाँ पत्रकारिता छोड़ दी थी तुम्हारे जाने के बाद। अब कॉन्टेंट राइटर के तौर पर काम कर रहा हूँ अलग-अलग कंपनीयों के साथ। अखबारों के लिए लिखता भी हूँ। ज़्यादातर काम घर से ही करता हूँ, बस कभी-कभी मीटिंग्स के लिए बाहर जाता हूँ।
पत्रकारिता क्यों छोड़ दी तुमने?
तुम्हारे जाने के बाद एहसास हुआ कि ऐसे पैसे का क्या फायदा जो हमें समय ही ना दे अपनों के संग बिताने का।
मैं नौकरी में खुद इतना व्यस्त था कि मेरे पास समय
नहीं था तुम्हें समय देने का और मैं हमेशा तुम्हें, तुम्हारे काम को दोष देता रहा। किसी ना किसी बहाने तुम पर नौकरी छोड़ने के लिए दबाव डालता रहा। जबकि नौकरी तो मैं भी छोड़ सकता था। मुझे इसी बात का मलाल है मन में बाकि किसी और बात का नहीं।
तुम्हारे सिवा कभी किसी को नहीं छुआ आज तक मैंने अना। मैंने उस वक़्त भी इंकार किया था उस बात से और हमेशा करूँगा। बाकि तुम जो समझना चाहती हो समझ सकती हो। इस बारे में मुझे अब और कुछ कहना नहीं है अना।
तुम सो जाओ आराम से, मुझे थोड़ा काम है अभी।
एक मिनट रुको अनिकेत मुझे कुछ कहना है…..मान लो अगर निशा की जगह तुम्हारा दोस्त होता और तुम्हारी जगह मैं होती और हमारे बीच शारीरिक संबंध.....
बकवास बंद करो अना। मैं यह सब सुनना नहीं चाहता।
तकलीफ हुई ना अनिकेत ये सुनकर तुम्हें , तो मेरे बारे में सोचो मुझ पर क्या गुज़री होगी। मेरा मन आज भी तुम्हें प्यार करने का करता है लेकिन जब भी याद आता है कि तुमने अपने इन हाथों से उसके जिस्म को छुआ था और उसने तुम्हारे, तो मुझे घिन्न आती है। ऐसा लगता है जैसे तुम्हें छूने से मैं मैली हो जाऊंगी।
अना तुम जिसकी कसम खाने को कहोगी मैं खा लूँगा लेकिन यह सच है कि मैंने उसके साथ कुछ नहीं किया। प्लीज अना हम पति पत्नी से पहले दोस्त थे, उस दोस्ती की खातिर मुझे एक मौका तो दो अपनी सच्चाई साबित करने का।
ठीक है अनिकेत, पहला और आखिरी मौका दे रही हूँ तुम्हें अपना पक्ष रखने का। इसके बाद मुझसे कोई उम्मीद मत रखना।
अनिकेत अगले दिन अनिकेत अपने दोस्त रोहन के घर चला जाता है उससे बात करने के लिए।
रोहन अनिकेत की सारी बातें सुनकर हैरान हो जाता है और उसे डाँटता है कि एक साल हो गया है इस बात को, तेरे और अनाहिता के बीच तलाक तक की नौबत आ गयी और तूने मुझे बताना ज़रूरी नहीं समझा। अगर उसी वक़्त बता देता तो मैं अनाहिता को आकर सच बता देता और तुम दोनों को इतनी तकलीफों से नहीं गुजरना पड़ता।
क्या करता, अना ने मेरी एक नहीं सुनी रोहन। उस निशा ने ऐसा जाल बिछाया था कि उसे मैं गलत लग रहा और वो सही।
चल मैं चलता हूँ अनिकेत तेरे साथ तेरे घर, समझाने की कोशिश करता हूँ अनाहिता को।
रोहन अनिकेत के साथ घर आता है अना से बात करने के लिए। अना अपने कमरे में आराम कर रही होती है।
अना…. रोहन मिलने आया है तुमसे।
अना उठकर बैठ जाती है और उसे हैलो कहती है।
कैसी हो अनाहिता? मुझे आज ही पता चला तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे में, इसलिए मिलने चला आया।
मैं पहले से बेहतर हूँ रोहन।
अनिकेत चाय बनाने चला जाता है।
रोहन अपनी बात शुरू करता है….मुझे आज ही पता चला कि तुम्हारा और अनिकेत का तलाक का केस चल रहा है कोर्ट में उस लड़की निशा के कारण। अनाहिता सिर्फ एक ही बात कहूँगा, उस रात अनिकेत मेरे घर में था और इस बात के लिए मैं अपनी 6 महीने के बेटी की कसम भी खा सकता हूँ।
वो लड़की है इसलिए उसकी हर कही बात सच है और लड़के हर बार झूठे। तुम लड़कियों ने लड़कों को समझ क्या रखा है…..लड़कों का भी चरित्र होता है, हर लड़की के पीछे कुत्ते की तरह लार टपकाए नहीं घूमते। सारी लड़कियाँ सती-सावित्री नहीं होते और ना सारे लड़के चरित्रहीन। माफ़ करना ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा हूँ लेकिन तुमने ठीक नहीं किया अनिकेत के साथ।
जानती हो कॉलेज में कितनी लड़कियाँ मरती थीं उस पर लेकिन मजाल है कि उसने किसी की तरफ देखा हो। चौबीस घँटे उसके मुँह पर सिर्फ एक ही नाम रहता था…..अना, मेरी अना। इस हालत में भी तुम्हारा ख्याल रख रहा है, यह प्यार नहीं है तो क्या है? इतना भी दिखता नहीं तुम्हें।
अनिकेत चाय लेकर आता है लेकिन रोहन पीता नहीं। सॉरी अनिकेत, सॉरी अना अगर मैंने कुछ ज़्यादा बोल दिया हो। मैं चलता हूँ अनिकेत, बाद में मिलता हूँ।
Sandhya Prakash
22-Mar-2022 01:45 PM
Khoobsurat khani
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Arshi khan
03-Mar-2022 10:23 PM
Bahut khoob
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